Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 172
________________ कुशल गुरु-छंद भलो गुरु थांन सोहै भरवच्छ, कहीजै भुज्ज देसावर कच्छ । मोटा गुरु मांडवीय मंडाण, मुदै मुदरे पुर वाधी वांन ॥ ५१ ॥ जोषांग सुंथान तणी भल जोड़, राजै तिहां राज भलो रोठोड़ । उदैपुर ईडर बाद सुधान, मोहंतो मालपुरै सुप्रमांण ||| ५२ ॥ मेड नागोर सु मोमन्न, चूरू चित चाह धरा कहै धन्न । गुढै गुरू वाहडमेर विशाल, महिम्मा मालापुरै सुविशाल ॥ ५३ ॥ सोभूत जैतारण साचो सांम, तौरपुर तेम सुधारे कांम । हो गुरू खेजडलै सुप्रधान, देवीकोट देवगढ सुप्रमांण ॥ ५४ ॥ होइल कीरत गरै आज, जां दुख नीर नों तीर जिहाज । श्रहो वीरम्मपुरै राजरीत, तबु तिमरीपुर तेम प्रतीत ।। ५५|| Jain Educationa International For Personal and Private Use Only ( १५७ ) www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 170 171 172 173 174 175 176 177 178