Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 175
________________ ( १६०) बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि स्तवन राँग्रह कलश कवित्त जपता जयजयकार, सगुरू सुखरास समापे । जपतां जयजयकार, कष्ट कंदल नै कापै ॥ जपतां जयजयकार, चित्त नी चिंता चूरै । जपतां जयजयकार, प्रघल मन आसा पूरै॥ संवत् अदार वारण वरस, मंबई विंदर मन रली । कुशलेस सगुरू गुण गावतां अमर सिंधुर पासो फली॥६५॥ -इति श्री(अन्तिम तीसरा पत्रही प्राप्त ) चक्र श्वरी-स्तवन देशी-गरबानी देवी चकेसरी, संघ सकल आधार नम परमेश्वरी । देवी० । देवी आदीसर अोलग सारै देवी संत जनां नै साधार । देवी श्रापद भय थी तुं तारै । देवी० ॥१॥ देवी जिन शासन ने उजवाले, देवी भक्त जनां ने प्रतिपाले । देवी सेत्रुजा गिरी ऊपर माल्है। देवी० ॥२॥ देवी चिन्ता तू सगली चूरै, देवी प्रघल मनोरथ तूं पूरै । देवी दुख दालिद्र हरै दूरै। देवी० ॥३॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 173 174 175 176 177 178