Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

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Page 177
________________ ( १६२ ) बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि स्तवन संग्रह माय आराध्या ततखिग ओ, वा निज सेवक सुख पावै । ____ माय गोरंगी मिल गु.गावै ।। माई० ॥५॥ निज दास नी आसा तुरत पूरै, देवी नयणानंद चढते नरै। म. अधिके पुण्य ने अंकूरै ॥ माई० ॥६॥ माय नेह निजर भर निरखीजै, माय बंछित सुख मुझनै दीजै । माय कारज एतौ हिव कीजै ॥ माई ॥७॥ वर सुजस बाल जगत बाजे, सबली सिंघ असवारी छाजे । . भावड भय तो दरस भाजै ॥ माई० ॥८॥ वड़ बखती वीनति अबधारी, इक सबल भरोसो छै थारो। अलवेसर आपद थी तारौ ॥ माई० ॥६॥ आतंक अरी अलिगा हरिजौ, देवी सुख संपत वहिला दीजो। 'अमरेस' आपणड़ा जाणी जै ॥ माई० ॥१०॥ इति अम्बिका गीतम् । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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