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बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि स्तवन राँग्रह
कलश कवित्त
जपता जयजयकार, सगुरू सुखरास समापे । जपतां जयजयकार, कष्ट कंदल नै कापै ॥ जपतां जयजयकार, चित्त नी चिंता चूरै । जपतां जयजयकार, प्रघल मन आसा पूरै॥
संवत् अदार वारण वरस, मंबई विंदर मन रली । कुशलेस सगुरू गुण गावतां अमर सिंधुर पासो फली॥६५॥
-इति श्री(अन्तिम तीसरा पत्रही प्राप्त )
चक्र श्वरी-स्तवन
देशी-गरबानी देवी चकेसरी, संघ सकल आधार नम परमेश्वरी । देवी० । देवी आदीसर अोलग सारै देवी संत जनां नै साधार ।
देवी श्रापद भय थी तुं तारै । देवी० ॥१॥ देवी जिन शासन ने उजवाले, देवी भक्त जनां ने प्रतिपाले ।
देवी सेत्रुजा गिरी ऊपर माल्है। देवी० ॥२॥ देवी चिन्ता तू सगली चूरै, देवी प्रघल मनोरथ तूं पूरै ।
देवी दुख दालिद्र हरै दूरै। देवी० ॥३॥
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