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अम्बिका-गीतम्
( १६१ )
देवी दोपै तुं चढते दावै, देवी गुणियन जन मिल गुण गावै ।
देवी म्हारी मोताजो री जोड़ी कोई नावै । देवी०॥४॥ देवी सुख संपति मुझ ने दीजै, देवी कूरम दृग मो पर कीजै ।
देवी सकल मनोरथ मुझ सीझे । देवी० ॥५॥ ए अरज सुणी देवी आवौ, माय दिन दिन चढत करौ दावौ ।
माय तुझ चौ विरूद अठै चावौ । देवी० ॥६॥ भल अरज सुणी भीरै श्रावौ, देवी सुख दायक मुख फरमावौ ।
देवी वंछित "अमर" नै दिवरावौ । देवी० ॥७॥
अम्बिका-गीतम्
देशी-गरबानी मां अंबाई,तो दरसण थी अडसिध नवनिध पाई। माई.॥१॥ माई रेवंतगिरि ऊपर मान्है, माई गहिर गुणे नित प्रति गाजै ।
माई छत अधिकी ओपम छाजै ॥ माई ॥२॥ माई नेमिसर ना चरण नमै, माई दोषी जननै तुरत दमै ।
माई गहिरो दुख नै तुरत दमै ॥ माई ॥३॥ माई चिन्ता पिण मननी चूरै, माई प्रेम अधिक लखमी पूरै।
माई चरण नमै उदयै सूरै ॥ माई ॥४॥
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