Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

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Page 171
________________ ( १५६ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह कुशल गुरु छंद थूभ देरावर जाण, मरोट सथान बहु माम॥४६॥ बडी* गुरु शोभा बीकानेर, . जपतां शत्र थई गया जेर । मुलत्राणे पावौ सेवंता रमी, साध्या जिहां पंच नदी पंच पीर ॥४७॥ किंरोहर मालपुरै बहु क्रीत, रिणी नवहर सोहे राजीत । भला नर सेव करै भटनेर, सठाम दिपंतो सांगानेर ॥४८॥ लुलीने पाय लागंत लाहोर, जागंती जोत गुरु जालोर । प्रसीधो पाटन सोहै पाट, शेत्र जै लाग रहया गहगाट ॥४६॥ गुरु ना पाय पूजै गिरनार, खंभायत तेम महा मुखकार । सदा सुखदाई सूरत सांम, ममोई विंदर बांधी माम॥५०॥ *वधी जेपी ने शुत्रु किया जिहां जेर । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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