Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 126
________________ समकित - गीत समकित गीत राग - कैरबो पाया पाया पाया वे, सुगुण भवि समकित पाया वे । सुगुण नर. । दोष अदार रहित नित दीपै, देव निरंजन ध्याया वे । सुगुण ० | १ | दश विधि साधु धर्म के दीपक, ( १११ ) धन्य गुरु नाम धराया वे । सगुण ० | २ | शील सन्नाह घरै जै साचो, उपसम अनुभव लाया वे । सुगुण ० १३ | ज्ञान विवेक विनय गुण राचे, दया धर्म चित लाया वे । सगुण ० |४| ऐसो समकित चित हित दायिक, निस वासर मन भाया वे । सुगुख० | ५| सुध समकित सैजे जन राचे, तेह "अमर" पद पाया वे । सुगुण० | ६ | 00 Jain Educationa International सत - दृढता-गीत राग - अंगलै री, रागणी खम्भायती परज बरे सत मत छोडि, सुगुण नर सुगरे । सत मत० । सत राखण कुं नीर नींच घर, हरचंद राय भरे रे | सत० | १ | For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178