Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

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Page 152
________________ अनुभव-वर्षा ( १३७ ) मेरी राय चेतन ने शुद्ध लई, तब विरह विथा सब दूर गई । सुख संपत की रास बढाई, अजर "अमर" पद वेग लई। मे०१०॥ अनुभव वर्षों राग--मल्हार अनुभव वरषा आई सुचेतन. अनु० । विवेक बदरिया बहु बन आई, सुरत घटो धन छाई । सखी. अनु.।१। सुभ भावन सो वाय सुहावत, ज्ञान झरी झर लाई। कुमति कुगत कुंदूर करी तब, सुमति सुगति मन भाई । सुचे. अनु. ।। निहचै नयसो वनीय बीजरीया, विवहार गरज गजाई। सुमता रस जल सै भवि झीलत, तनकी तपत बुझाई । सुचे. अनु. ३॥ ऐसी अनभव वर्षा आवत, तौ लहै सुजस सबोई। सासय राज लहै शिवपुर को, "अमर" आणंद वधाई । सुचे. अनु.।४। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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