Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 160
________________ सुमति - होरी प्रेम पिचरका भाव सु जल भर, ताकेँ खूब रमायो विनय विवेक दो साजन मिलने, बारी ता० । राग फाग भल गायो. वारी रा० ||४|| न० ॥ राग द्वेष रज दूर उडांय कै, समकित रव उजरायो, बा० स० । मैं भी पिया के संग रमतो, 'अमर' सोभाग वधायो. वा० अ० ॥ ५॥ न० ॥ ( १४५ ) सुमति- होरी राग - कहर में वसन्त महाराज मेरे संग भए हैं, हित से रखेंगे होरी में । एरी सखि हि० । Jain Educationa International प्राणनाथ भल गेह पधारे, मैं हरखित भई मन में । एरी सखि ६० | १| म० । e कुलटा याकै कान लगी थी, कुमत देत छिन छिन में । एरी सखि कु० |२| म० । धम को धन ति सब मुसखायो, तब चेतन थयो तन में एरी सखि त० |३| म० | For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178