Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

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Page 166
________________ पटवासंघ-तीर्थमाला-स्तवन (१५१ ) धन धन धनो जूनो तीरथ भेट्यो धाम । पूजा सतर प्रकारी करतां श्रावक भाई ताम ॥१०॥ श्री "वरकांणापास" जुहार्या जगपति जाम । प्रथम तीरथ भेटतां पाप पुलाया ताम ।। "नाडोलै" जगनायक पदमप्रभु परसिद्ध । विविध प्रकारै पूज करी भई समकित वृद्ध ॥११॥ 'नडुलाई जिन नमीय गमीय रोग में रोस । सुधै मन सेवंतां समकित नो को पोस । शांतीसर प्रभु पूज्या 'सादडी' नगर मुचंग । "राणपुरै रिसहेसर पूज्यां भव भय भंग ॥१२॥ घण थाट वहिवाटै आन्या 'घाणेराव' । श्री महावीर मुंछालो भेट्या दुरगत नो रल्योदाव ॥ 'सेमली' पास जुहार्या जूनो तीरथ जाण । 'सीरोही' सुखदाई भेट्या भलहल भांण ॥१॥ 'वामणवाडै' वीर जिणंद सदा सदा सुखकंद । 'जीवतस्यांम' जुहार्या फट गए भव भय कंद ।। आव्यो संघ 'अणादरें गांमै केरी पाज । 'आबू' अचल गिरंद भेट्या सिवपुर नी ए सांज ॥१४॥ 'देवलवाड' देव जुहार्या आद जिणंद । दरस सरस लहि सिंघसकल लह्यो अधिक पाणंद ।। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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