Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

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Page 164
________________ पटवा संघ-तीर्थमाला स्तवन (१४८) पटवा संघ-तीर्थमाला स्तवन (सं० १८६०) स्वस्ति श्री सुखदायक लायक ऋषभ जिणंद । शत्रुज गिरि मंडण दुख खंडण सुरतरु कंद ।। सकल करम खल कुंजर हरणे सिंह समान । सुगुरु मुझे इम सांभल उल्हसो बुद्ध विनांन ॥१॥ बाफणा गोत्र वदीतो "बहादरमल" सुसेठ । लखमीधर लख ग्यांने अवर सहू तसु हेठ ।। सिंघ शेजा नो कीजै लीजै लखमी लाह । सकल सजाई इम चितसि मेली (कीधी) वाह वाह ॥ २॥ लघु बंधव च्यारे तेजवै ततषिण ताम । शेवज गिरनो सिंघ करावो अति अभिराम । वड बंधव नो वचन सुणी में कीध प्रर्माण । सफल जनम जांणी में चित हित अधिको आँण ॥३॥ कंकोचरी कागद लिख मेन्या देस विदेश । "पालीपुर" सिंघ आव्यो वाध्यो हरष विशेष । सरव जिनालय पूज करावें भल सुभ भाव । दान सुपात्र दैता दिन दिन चढतै दाव ॥४॥ सिंघ तिलक कीधो "श्रीमहेंदररि" मुणिंद । सुरगण मझ सोहै अधिपति जिम सोहम इंद॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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