Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir
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( १४४ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
चोवा चंदन कीच मच्यौ है, तिसलन सुरत डिगाई। वसंत में वरषा ऐसो बनी है, 'अमर' महा सुखदाई।४।१०।
चेतन-सुमति-होरी*
राग-वसन्त नणद तुहारो नवल सनेही,
आज राज घर आयो । अम्ह प्रीतम सु सनेह धरी बहु,
वाणी मधुर बोलायो. वा० ॥१॥ न०॥ संवर वाड़ी अतिह सुरंगी,
. ताही मझ बसायौ. वारी ताही। मैं भी प्राण प्रियो संग रंग,
ज्ञान गुलाल मंगायो. वारी ज्ञा० ॥२॥ न०॥ भर भर झोरी होरी कै मिस,
अबीर कैबीच मिलायो. वा० अ०। करुणा केसर अतिह अनोपम,
रंग सुरंग करायो. वारी रं० ॥३॥ न०॥ *सुमता स्त्री चेतन राजानी कहै छै शुद्ध सम्यक्त नी ऊपनी श्रद्धा तद्रपी नाद ने कहै छै तुम्हारा भार अम्हारै बरे विवेक परधान अम्हारै भरि चेतन महाराज तिरणा से आवा नै मिल्यौ छै।
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