Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir
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( १४२ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
चेतन-सुमति-होरी
राग--वसन्त जंगली ए तौ हरख सै आई होरी रे, एतो हरख सै आई होरी। सुमत सोहागण से रस दमता, विरह विथा कुतोरी रे। ए.।१। अपने वालम से अंतर नांहीं, यह भामन है भोरी रे। ए.।२। कुमति कनार को संग निवारी, एतो धरमण थापी धोरी रे। ए.॥३॥ ए हरणाखी मोहित चाहै, इण सम नार न ओरी रे। ए.।४। इतना दिन में या घरणो विन, दुख दीठा लख कोरी री । ए.॥ अब तो भई रे आनंद वधाई,एतो 'अमर' संपद सुख पाई री।ए.६।
सुमति-होरी सुमत सोहागण राय चेतन भल,
ऐसे रमत होरी में एरी सखि । ऐ.। श्रद्धा भूप्न सुसमकित बन है,
सफल फलत है छिन में । ए. स. स.।११ स. ऐ.। आगम नय सो नदियां अनुपम,
सलिल संतोष है जिन में । ए. स. स.।२।स. ऐ.। गुण गण टोरी भोरी मिली है,
सो रमती सुच जल में । ए. स. सो.।३।स. ऐ.।
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