Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir

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Page 155
________________ ( १४० ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह होरी (भलैरी पेच मोपै डारयो री रसको, तेरो चितवन में करे जोरी कसको. ए चाल मै छ, राग-बसंत अडाणो) भल पाई होरी रस रंग भरी री, खेलत अनुभव हरष धरी री। भल आई० खेलत. कणी॥ अविरति श्राद मिथ्यात न मोहै, भूल अनादनी जेह परी री । भल० खेलत०।१॥ निम श्रातम गुण कं निपजावे, कोह लोह कू दूर करी री । भल० खेलत०।२। सुमति सोहागणि सै मन लायो, सहिजानंदित सुविध वरी री । भल० खेलत०३। अनुभव ताकै घरमै आये, अवचल लखमी सहज वरी री। भल० खेलत०४। केवल वरीयो सिव सुख दरीयो, कोडि सूरज दुति मंदकरी री । भल० खेलता आनंदघन अवचल पद पाए, "अमरसिंधुर" ए होरी भलीरी । भल० खेलत०।६॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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