Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir
View full book text
________________
( १२६ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
सहिजानंद सरूपी साहिब,
आनंदधन वाको कुण करें तोला । मजरे ।। निराकार निकलंक निरंजन,
निरलेपी नवि बोलत बोला। नहिं इन्द्री नहि वेद है वाकै,
नहि राग नहि द्वेष सतोला । मजरे०।२। शिव मंदिर में सुख सेजडली,
शिव सुन्दर से प्रीत अतोला। भुगता भोग को 'अमर' समर भल,
तु पिण सुख पामीस तिण तोला । मजरे० ॥३॥
अनुभव-पद
राग-सारंग आतम अनुभव रस पोजीौ, अनुभव अमृत रस पीजिये। काम क्रोध मद माया मोडी, गुरु मुख ज्ञान लहीजीयै। प्रा.॥१॥ परगुणसुं कहुँ प्रीत न करीयै, निज गुण ज्ञान गहीजीयै। आ.।२। जे जिन आठ अरीगण जीता, ताको ध्यान धरीजीयै। आ.।३। तन मन वचन करी इकतानें, उपसम अंग धरीजीयै। आ.।४।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org