Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir
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बम्बई चिन्तामणि पार्श्व- स्तवन
चिन्तामणि- पार्श्वनाथ - स्तवन
राग- कैरवो
मनवा कर कर मौज सुं रे, मेरे साहिब की भल सेव । तारक है त्रिहुं लोक मै रे ( एतो),
दुतीय न या सम देव । मनवा० मेरै ० |१|
प्रीत रीत चित हित धरी रे वाल्हा,
करतां कोउ कल्यांण | मनवा० । हृदय कमल उलसित थीयै रे वान्हा,
भोर उदय जिम भांग | मनवा० मेरै ० |२| चंद चकोरा प्रीतडी रे वाल्हा,
मेंह अनें जिम मोर । मनवा० । sars प्रीत श्रनादनी रे वान्हा,
मधुप कमल ने जोर | मनवा० मेर०|३|
स विष प्रीत अधिक नहीं रे वाल्हा,
( ६५ )
निर विष प्रीत नो लाग । मनवा० ।
तो ज्ञानानंदी गुण वरचो रे वान्हा,
ए तो वान्हमीयो वीतराग | मनवा० मेरै ० |४|
एतो कासी वासी जय जयो रे वाल्हा, एतो शिव रमणी सिणगार | मनवा ० ।
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