Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir
View full book text
________________
बम्बई चिन्तामणिपार्श्व-स्तवन
( ६ )
चिन्तामणि-पार्श्वनाथ-स्तवन
राग-मल्हार जगदानंद जयोरी "चिंतामणि" | जगदा०। प्रभु की महिर लहिर वरपारित,श्रामम जलध भयो री। चिं.ज.१॥ पाप ताप सब दूर पुलाए, परम सिसरता भयो री। दुर्भिक्ष दुर्गत दूर गमाए, घरम सु धान निपायो री। चिं.ज.२। सुंदर सूरत सूरत निरखी, भाव सु बाव सुहायो री। ऐसी वरषा भई रीअनोपम, 'अमर' आनंद बधायोरी।चिं.ज.३।
चिन्तामणि-होरी
राग-वसन्त फाग मिंदर में खूब मची होरो, मिन्दर में । राजेसर चिंतामणि राजै, सुर नर नमै ताक कर जोरी। देवल में, देवल में धूम मची होरी । आंकणी ।। सु विवेकी श्रावक मिल आये, दरस करत है कर जोरी।२। मि.। ताल कसाल मृदंग बजावत, फाग राग गावत होरी।३। मि.। शुद्ध श्रद्धा सोई गहिरकशुंभा, पोवत कुमत दिसा तोरी।४। मि.। अनुभव लहरी सुरखी आई, प्रीत प्रमुजी सें तब जोरी शमि.। सुमला केसर रंगे रसिया, खेलत अनुभव से टोरी।६ मि.। भाव समीर नीर निर्मलता, ज्ञान गुलाल भरी होरी ७ मि.। खेल मच्यो देखत है मुनिजन, कोटत है क्रम की डोरी। मि.।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org