Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir
View full book text
________________
बम्बई चिन्तामणिपार्श्व-स्तवन
( ४७ )
ऐसो सांम जगत में जोता,
अवर न पोउँ री । अरी २ अव. श्री चि.।२। रात दिवस इक रंगै रातो,
ध्यान सु ध्याउँ री ।अरी २ ध्या। श्री चि.३। सुन्दर सूरत मृरत निरखी,
हष भराउँ री ।अरी २ हर.। श्री चि.।४। महिर लहिर नो लटको लहिने,
आनंद भराउँ रीअरी २ आ. श्री चि.श मोह निद्रा गई मुद्रा निरखत,
भव्य कहाउँ री।अरी २ भ. श्री चि.६। दास खास हुं "अमर" तुहारो,
विरुद धराउँ री।अरी २ वि.। श्री चि.७।
चिन्तामणि-पार्श्वनाथ-स्तवन
राग-फाग चिन्तामणि दरसण भल पायो, चिन्तामणि । दुख दोहग सब दूर गये हैं, सोहग सुख संपत पायो। चिं.१॥ प्रभनी महिर लहिर ने लटकै, हरष हीयें बहु हुलसायो। चिं.२॥ तेवीसम जिन जग जन तारक, लायक विरुद्ध मै ललचायोचिं.३॥ सुंदर सूरत मूरत निरखी, देव अवर नहीं दिल भायो। चि.४।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org