Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir
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( ६ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
नेमि-राजीमति-स्तवन (मत वाहि छढीयां लग जायगी, ए जाति वसंत ) गिरनार पिउ कै संग जाउँगी, संग जाउंगी फिर घर नहीं पाउँगी! भोग तजी ने जोग धरयो है, गुण वाही के नित गाउँगी। गि.१॥ जोवन मेरो अंग झित है, ताहि बात दरसाउँगी। गि.२॥ कह्यो मानै जो कंत हमारो, तो पीछो घर लाउँगी । गि.३। जिम तिम प्रीत रीत कर कोरण, रुठडो नाह मनाउँगी। गि.४। जो जग जीवन गेह न आवै, पतियां फेर पठाउँगी । गि.॥ 'अमर' वधै जिम प्रीत अमारी, सोई सुजस बढाउँगी। गि.६।
नेमि-राजीमति-स्तवन
( राग-बसन्त ) कीनी मै सुखकारी, सखी मेरी इण भव ए इकतारी । नेम नगीनो है मेरो बालम, मैं हुँ उनकी नारी । भज तज मत जा प्रेम पियारे, मैं तेरी बलिहारी । सखी. १। मैं तो तेरो अंग न वजहुँ, जो मोहि दैगौ गारी। जो गिरनार गिरंद चढेगो, तो मैं आउँगी लारी । सखी. २ । सहसावन जाय संयम लीना, दोनॅ भए ब्रह्मचारी। 'अमरसिंधुर' बाकंनमन करत है, धन वह नर वा नारी।स.३।
इति श्री पदम् ।
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