Book Title: Bambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Chintamani Parshwanath Mandir
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( 5 ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
कालो नर सो कपटी होयै, ए अोखांणी जगत सही भो.२॥ मुखड़े रे मीठो चितई रे झूठौ,उर की बात सो आज लही।भो.३॥ पहिलो मोसै प्रीत वणाई, त्रिटक झटक छटकाय दई भो.४। निसनेही मेरो नवल सनेही, इण की बात न जाय कहो ।भो.॥ नव भव की इण प्रोत न जाणी, मेरी सार न एण लही भो.६। एण तजी पिण हुँ नवि तज हुँ, ए मैं हिव इकतार गही मो.७/ सहिसा वन जाय संयम लीनो, तप जप केवल तबहि लही भो. शिव मंदिर हिल मिल के खेलें, 'अमर' प्रिया प्रिय मीत भई ।।
नेमि-राजिमती-स्तवन
मनी मेरौ बोवरो रे, रोख्यो ही न रहोय । सहीयां.। पहिली प्रीत पिछाण के रे, जादव पासे जाय । सहीयां मनु.। पहिली प्रीत लगाय के रे, इण चितड़ो लियो जी चोराय। स.१॥ नव भव नो ए नाइलो रे, इण लालच रही ललचोय । स.मे.। मैं गोरी भोरी थई रे, कोई अंतरगत न लखाय । सहियां मे.।२। धीठा मुह मीठा हुवै रे, भोला तिण भरमाय । सहियां मेरो.। शिव रमणी संकेत सँरे, मोकुं छटक दई छिटकाय । सहियां ॥३॥ संग करी सुगुणा तणो रे, लै संयम सुखदाय । सहियां मे.। नेम राजुल मुगते गया रे, प्रीत 'अमर' जिहां थाय । सहियां।४।
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