Book Title: Apradh Kshan Bhar Ka Author(s): Yogesh Jain Publisher: Mukti Comics View full book textPage 7
________________ अपराध क्षण भर का और फिर शाम के समय भोजन हेतु पधारें राजन् ! तो राजा ने सहर्ष शुद्ध भोजन स्वीकार किया नहीं ! नहीं मैं शुद्ध शाकाहारी बहुत ही स्वादिष्ट है इस घनघोर जंगल में भी इतना रूप लावण्य और गुणवती भी... मुझे शादी का प्रस्ताव... । देर रात तक राजा सोचता रहा अब समझा, मेरी बेटी धार्मिक प्रवृत्ति की है, उसने ही क्रियापूर्वक बनाया है। राजा भीलकन्या के व्यवहार से बहुत प्रभावित हुआ और उस पर मोहित भी... दूसरे दिन भीलराज के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा तो... यह तो मेरा अहो भाग्य होगा, परन्तु... 5Page Navigation
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