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मुक्ति कामिक्स .
पिता द्वारा श्रेणिक के आचरण को सुनकर नन्दश्री बहुत प्रभावित हुयी; उसने कहा...
1. तुम्हें मामा कहकर वह तुमसे स्नेह चाहता था। 2. जिह्वा रथ का अर्थ कथा-कौतूहल करना है। 3. जल में जूता न पहिनने से काँटे, पत्थर व सर्प आदि
के काटने का भय रहता है। 4. वृक्ष के नीचे छतरी न लगाने से पक्षियों की 'बीट'
गिरने का भय रहता है। 5. वही शहर बसा हुआ है, जहाँ जिनमन्दिरादि
हैं और विवाहिता स्त्री बँधी हुई व कुँवारी
मुक्त है। 6. स्वाध्यायी, दानी, धर्मात्मा के मरने पर हाल
का मरा हुआ व इनसे रहित जन्म से मरा हुआ है।
यह जानकर इन्द्रदत्त बहुत प्रभावित हुआ और "नन्दश्री" ने रूपवान श्रेणिक को बुलाने अपनी दासी को सब कुछ समझाकर भेज दिया।
आपको मेरे स्वामी ने निमन्त्रित
किया है।
कमाल है? कान में तालवृक्ष का पत्ता क्यों पहिनें थी? और घर भी नहीं बताया...! ओह !
अब समझा...
यह तो ठीक है, परन्तु उनका घर कहाँ
है और किस जगह है।