Book Title: Apradh Kshan Bhar Ka
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 21
________________ अपराध क्षण भर का नीतियुक्त वचनों से राजा का क्रोध तो शान्त हो गया। परन्तु बदला लेने की युक्ति सोचने लगा। एक दिन... बकरा लेकर राजा का नौकर नन्दि । गाँव चल दिया... देकर आओ। जाओ! इस बकरे को नन्दिग्राम वालों को और उनसे कहो कि इसे खूब खिलायें। परन्तु सावधान ! यह न तो मोटा होवे न ही वजन बढ़े। अन्यथा राजदण्ड.. सभी गाँववालों ने जब राजाज्ञा सुनी तो उनके होश उड़ गये। अब हमें क्या करना चाहिये? लोग उस बच्चे के पास गये उसने कहा... इसे दिन में खूब अरे, याद आया अपने गाँव में अभी-अभी एक बुद्धिमान बच्चा आया है। चलो वहाँ ही कुछ urnतरकीब... खिलाओ। T एक माह बाद जब बकरे को राजदरबार में ले जाया गया तो... और रात में शेर के सामने बाँध दो

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