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महाराजा श्रेणिक को एक दिन बीते दिन याद आने लगे।
मुक्ति कामिक्स फलस्वरूप राजा ने मंत्री को बुलाकर नन्दिग्राम खाली करने का आदेश दिया।
नन्दीग्रामवासियों ने मुझे बुरे दिनों में भोजन तक नहीं दिया था, अब अपमान
का बदला लेकर रहूँगा।
पर महाराज! इससे तो आपकी बहुत बदनामी होगी।
जब श्रेणिक ने पूरी घटना कह सुनायी तो... मंत्रियों ने क्रोध को शान्त करने की कोशिश की।
महाराज! अन्याय से तो राज्य में पापियों की ही संख्या
बढ़ेगी।
राजन् ! आप क्षमाशील हैं, कृपालु हैं, आप उन्हें क्षमादान
करें तो श्रेष्ठ रहेगा।
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स्वामी! राजा के न्यायवान होने से प्रजा भी न्यायप्रिय
होती है।