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अपराध क्षण भर का
अगले दिन उसने सभी बौद्ध साधुओं को भोजन कराया।
भोजनोपरान्त जब वे जाने लगे तो....
मेरे जूते कहाँ हैं ?
यहीं तो...
पर आप तो सर्वज्ञ हैं, आपको यह भी पता नहीं, तो मेरे अगले जन्म का क्या पता होगा
अनुत्तरित होकर साधु बहुत अपमानित हुए।
और राजा से शिकायत की। राजा श्रेणिक, रानी को नीचा दिखाने का अवसर तलाशने लगा। एक दिन जंगल में...
अरे! वो नंगा कौन खड़ा है ?
राजन् ! यही तो गंदा, मूर्ख व अभिमानी
चेलना का गुरु है।
इतना सुनते ही क्रोध से तमतमाये श्रेणिक ने उन पर भयंकर शिकारी कुत्ते छोड़ दिये।
परन्तु जब कुत्तों ने साधु की शांत ॥ मुद्रा देखी तो...