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अपराध क्षण भर का
इस आदेश से सभी चिन्तित हुए।
सभी बालक के पास गये उसने उपाय बताया।
हम ऐसा ही करेंगे।
सही उत्तर सुन श्रेणिक सोचने लगा...
वहाँ अवश्य ही कोई बुद्धिमान आया है, इनमें इतनी बुद्धि है ही
नहीं...
यह बालक न होता तो हम कभी के...
वह तो हमारा भगवान है।
दूसरे दिन वे श्रेणिक के यहाँ..
यह सोचकर श्रेणिक ने गुप्तचरों को आदेश दिया ।
पता करो, इनको कौन बचने का रास्ता बतलाता है।
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राजन् ! बालू की दूसरी रस्सी मिले तो वैसी ही सेवा में हाजिर कर दें अन्यथा हमारे अपराध क्षमा कर दें।