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श्रेणिक ने दूसरी आज्ञा दी इस हाथी का वजन तौलकर ले आओ
नाव पर खड़ा करके जितनी डूब जाए उतने पर निशान लगाओ।
गाँव वाले हाथी का वजन बतलाने राजदरबार गये ।
आश्चर्य है ! मैंने दण्ड देने के इतने बहाने किए परन्तु ये आड़े हाथ नहीं आ रहे।
मुक्ताि
गाँव वाले फिर उस बालक के पास गये।
चिन्तित होने की बात नहीं इसे नदी के किनारे ले चलो।
अब इस पर इतने ही निशान तक कंकड़ पत्थर डालकर उन्हें तराजू से तौल लो।
असफलता देखकर श्रेणिक बहुत क्रोधित व दुःखी हुआ । उसने पुनः आज्ञा दी।
जाओ ! शीघ्र ही बालू की रस्सी बनाकर लाआ वर्ना मृत्युदण्ड...