Book Title: Apradh Kshan Bhar Ka
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 18
________________ १६ महल में प्रवेश करने पर "नन्दश्री” ने श्रेणिक से भोजन के लिए निवेदन किया। हे मनोहरांगी ! मैं भोजन वही करूँगा, जो मेरी प्रतिज्ञा के अनुसार होगा। "नन्दश्री" ने ३२ चावलों का रहस्य समझाकर दासी को बाजार भेजा... ये मंत्रित गोलियाँ हैं, जिसके पास होगी, वह सदा सफल रहेगा... पर... आपकी प्रतिज्ञा । 4000 अच्छा ! ऐसा है, तो ये लो अशर्फी और दो ये गोली। CRECE "नन्दश्री" के द्वारा आग्रहपूर्वक पूछने पर... इन ३२ चावलों से ही जो दूध-दही युक्त सरस भोजन मुक्ति कामिक्स बना सके ठीक है, ऐसा ही होगा चावल से बनी गोलियों को बेचकर उसने दूध-दही खरीदकर मिष्ठान बनाये। वाह ! वाह ! भोजन तो बहुत ही स्वादिष्ट है..... इस तरह कुछ दिनों रहते हुए उनमें परस्पर प्रेम हो गया। उनके प्रेम को देखकर सेठ इन्द्रदत्त ने शुभमुहूर्त में विवाह कर दिया.... जोड़ी भी क्या खूब बनी

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