Book Title: Apradh Kshan Bhar Ka
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 14
________________ मुक्ति कामिक्स बौद्धमठ में कुछ दिनों रहकर शिक्षा प्राप्त करने पर एक । बौद्धाचार्यों की सेवा सहानुभूति व उपदेश से प्रभावित दिन बौद्धाचार्य ने कहा... होकर श्रेणिक बौद्ध बन गया। आप बौद्धधर्म स्वीकार कर लें! इससे आपको गच्छामि राज्य व सुख की निःसन्देह प्राप्ति होगी। 9/ बुद्धं शरणं श्रेणिक बौद्धधर्म अपनाकर अपने "मामाश्री" के साथ दूसरे गाँव चल दिया। परन्तु मामाश्री कुछ न समझे और मौनपूर्वक चलतेचलते उन्हें एक नदी मिली तो वे नदी पार करने लगे। पहले जूते उतार लूँ, परन्तु इसने क्यों पहन। लिये? अभी तक तो नंगे पैर चल रहा था। मूर्ख लगता है... मामाश्री रास्ता बहुत लम्बा है, क्यों न हम जिह्वा रूपी रथ पर सवारी करें। नदी पार करने के बाद वे काफी चल दिये तो... वृक्ष के नीचे इन्द्रदत्त ने छतरी बन्दी कर ली, जबकि श्रेणिक ने खोल दी। चलो! वहाँ वृक्ष के नीचे विश्राम कर ले यह कोई साधारण मूर्ख नहीं ! लोग तो धूप में छतरी लगाते हैं, जबकि यह यहाँ खोल रहा है !

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