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मुक्ति कामिक्स राज्य प्राप्ति के सभी लक्षण धीरता-वीरता व सौभाग्य आदि श्रेणिक में देखकर तो राजा घोर चिन्ता में ही पड़ गया। उसने अपने मंत्री सुमति व अतिसार से विचार किया।
चिन्ता न करें। राजा के राजन् ! हमने
बस हमें तो योग्य तो श्रेणिक उपाय
आपकी आज्ञा ही है, परन्तु
सोच वचन तो...
लिया
चाहिए...
राजाज्ञा से वे मंत्री श्रेणिक के पास गये।
कुमार!
वाह! अब
हमसे ही अपराध पूछते हो। कल बड़े मजे से कुत्तों के बीच भोजन... छी...छी...छी.. शर्म आनी चाहिये
महाराजा आपसे सख्त नाराज हैं,अतः आपको यह देश छोड़कर...
परन्तु मेरा अपराध?
मंत्रीवर ! उस समय तो यत्न से भोजन की रक्षा ही योग्य थी। जो राजकुमार अपने भोजन पात्रों की ही रक्षा नहीं कर सकता, वह प्रजा की क्या रक्षा करेगा? अतः आपका कहना न्यायसंगत नहीं है।
अरे! अब बहस का समय नहीं है। अभी तो शान्ति ही श्रेष्ठ है, सिंह भी शान्ति से दो कदम पीछे हटकर अपने लक्ष्य
को जाता है। अतः तुरन्त यह देश छोड़ने में ही
भलाई