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अपराध क्षण भर का
जब दो परीक्षाओं में श्रेणिक जीत गया तो एक परीक्षा गुप्त रूप से ली गयी।
मेरे कपड़े
मेरा
भोजन
आग! आग भागो भागो।
परन्तु श्रेणिक छत्र-चमर, सिंहासन राजचिन्ह लेकर भागा...
सभी परीक्षाओं में
जीते श्रेणिक की बुद्धि से राजा प्रभावित भी हआ और चिन्तित भी...
राजा बनने के लक्षण तो श्रेणिक में हैं...। परन्तु अब चिलाती को
राज्य देने के मेरे वचन का क्या
होगा?
चिन्ता क्यों करते हैं राजन् ! अबकी बार वह नहीं जीत
सकेगा
योजनानुसार दूसरे दिन जब सभी को एक साथ भोजन परोस दिया। तभी अचानक.... हाय ! मेरे चूरमे
| अरे ! मेरा ही का क्या होगा
। चूरमा
बन गया
लड्डू
परन्तु श्रेणिक कुत्तों की तरफ भोजन फेकता गया और दूसरे हाथ से स्वयं खाता गया ।