Book Title: Apbhramsa Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 14
________________ - कलं + ब - कलम्ब, कलंब (पु.) (कदम्ब वृक्ष) भ - आरं + भ = आरम्भ, आरंभ (पु.) (शुरुआत) 5.1 अनुस्वार आगम : (हेम - 1/26) (i) प्रथम स्वर पर अनुस्वार का आगम : . असु अंसु (आँसू) दसण दंसण (दाँत से काटना) (ii) द्वितीय स्वर पर अनुस्वार का आगम : इह , इहं (यहाँ) मणसी > मणंसी (प्रसन्न मनवाला) मणसिणी > मणसिणी (प्रसन्न मनवाली) मुहु » मुहं (बारबार) अज - अजं (आज) (iii) तृतीय स्वर पर अनुस्वार का आगम : उवरि उवरि (ऊपर) अइमुत्तय » (अइमुंत्तय) (एक प्रकार की लता) . 5.2 अनुस्वार लोप : (हेम - 1/29) (१) प्रथम स्वर पर अनुस्वार का लोप : __सिंह , सीह (सिंह) किं कि (क्या) (ii) द्वितीय स्वर पर अनुस्वार का लोप : कहं . कह (कैसे) ईसिं ईसि (थोड़ा) अपभ्रंश व्याकरण : सन्धि-समास-कारक (5) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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