Book Title: Apbhramsa Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 31
________________ = 56 सोक्खुप्पत्ती अन्तेउर-सारी रयणासव-जाएं पड-पोट्टले = 57 = 58 = 58 __ = 59 कयंतवासु जम्मजरामरणइं चउगइदुक्खु वक्कलणिवसणु वणहलभोयणु अहिमाणविहंडणु... कोदवछेत्तहुं -75 तिलखलु -75 चंदणतरु .. लोहियसुक्कई रसणफंसणरसदड्डउ - 76 णहङ्गणु मेरु-सिहरे चउ-सायरहं गग्गिरवायए णिदुर-हिययहो डाइणि-रक्खसभूय-भयङ्करे - 60 - 61 ___= 61 = 61 कमलमाल = 64 पाठ 7 = महापुराण = 65 संख्या वट्टि-सिहए णर-णारिहिं 65 पाठ 6 = महापुराण सीलसायरा दुरियणासिणा संख्या कुलविहूसणं केसरिकेसरु = 68 वरसइथणयलु पयराईवई केसरिकंधर णिवकुमारवासं सामिसालतणुरुह कुमारगणु कालाणलु = 69 परमुण्णइ सिहिसिहहिं = 69 अपभ्रंश व्याकरण : सन्धि-समास-कारक (22) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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