________________
अभ्यास 1. राम अध्ययन के प्रयोजन से ग्रन्थ पढ़ता है। 2. वह किस कारण से आया है। 3. पर्वतों में मेरु अत्यन्त ऊँचा है। 4. पुत्री का कल्याण हो। 5. मैं महावीर की वंदना करता हूँ। 6. वह धन से धनवान हुआ।7. वह शेर से डरता है। 8. उसके मकान पर पत्थर है।
1.
सप्तमी विभक्ति - अधिकरण कारक 'कर्ता की क्रिया का आधार या कर्म का आधार अधिकरण कारक होता है। दूसरे अर्थ में जिस स्थान पर कोई होता है, उसे अधिकरण कहते हैं और वह सप्तमी विभक्ति में रखा जाता है।' जैसे - (i) सो आसनि/आसने (7/1) चिट्ठइ/आदि (वह आसन पर बैठता है।) यहाँ कर्ता 'सो' (वह) की क्रिया चिट्ठइ (बैठना) का आधार आसन है अतः उसमें सप्तमी विभक्ति हुई। (ii) सो थालीहिं/थालिहिं (7/1) ओदण (2/1) पचइ/आदि (वह थाली (हाँडी) में भात पकाता है।) यहाँ ओदण का आधार थाली (हाँडी) है अतः उसमें सप्तमी विभक्ति हुई।
दूसरे शब्दों में बैठने का कार्य आसन पर और पकाने का कार्य थाली (हाँडी) में होने के कारण इनमें अधिकरण कारक हुआ। अतः सप्तमी में रखा गया है। जब एक कार्य के हो जाने पर दूसरा कार्य होता है तो हो चुके कार्य में सप्तमी का प्रयोग होता है। हो चुके कार्य के वाक्य में सकर्मक क्रिया का प्रयोग होने पर वाक्य कर्मवाच्य में होगा
2.
अपभ्रंश व्याकरण : सन्धि-समास-कारक (51)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org