Book Title: Apbhramsa Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 35
________________ दहदिसि पृष्ठ संख्या कमलवत्त = 155 पाठ 15 = परमात्म- प्रकाश = 157 = 157 __ पंच-गुरु देह-विभिण्णउ चलण-कर परमप्पु - 175 = 158 सग्गवासि सोक्खरासि णियगुरु-चरणारविंद मोहाउर = 158 - जिणवयणु - 160 = 162 देवपुजु कर-चरण = 181 182 __= 163 पुव्व-कियाई ... इंदिय-सुह-दुहई मण-वावारु = 180 देहादेहहिं = 181 जीवाजीव भव-तणु-भोयविरत्त-मणु देहादेवलि अणाइ-अणंतु ___ = 182 केवल-णाण-फुरंत-तणु = 182 परमप्पु = 182 पाठ 16 = पाहुडदोहा पृष्ठ संख्या _ = 163 ____ = 182 गुह-अब्भंतरि चिरकह बहु-सुह-छण्णउ पाठ 14 = हेमचन्द्र - के दोहे गिरि-सिंगहुँ खल-वयणाई उजाण-वणेहिं = 164 पृष्ठ संख्या = 165 171 अप्पायत्तउ = 183 कसाय-बलु विसयसुह - 184 सासयसुहु - 184 अपभ्रंश व्याकरण : सन्धि-समास-कारक (26) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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