Book Title: Apbhramsa Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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पाठ 1 = पउमचरिउ
कोसलणन्दणेण
आसाढट्टमिहिं
सुर-समर-सहासेहिं
रहसुच्छलिय-गत्तु
जिण-वयणु
सीस - वलग्ग
सन्धि-वन्ध
गिरि-इ-पवाह
राम-वप्पु
मेरु- सरिसु
समास प्रयोग के उदाहरण
[ अपभ्रंश काव्य सौरभ ]
अजरामरु
दि-वन्धणा
घर-दाराई
अण्ण-दि
अत्थाण- मग्गो
चिन्तावण्णु
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तुरङ्गम-णाएहिं
हियवए
पाठ 2 =
पउमचरिउ
सुइ-सिद्धन्त-पुराणेहिं
दुट्ठ-कलत्तु
मयलञ्छण-विम्बु
बहु- दुक्खाउरु
दुग्ग-कुडुम्बु
विसयासत्तु
तव-वाएं
वर - उज्जाण
तव चरणहो
चउ - कसाय - रिउ
अत्तावणु
तव चरणु
दय-धम्मु
अपभ्रंश व्याकरण: सन्धि-समास - कारक (20)
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