Book Title: Apbhramsa Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 29
________________ पाठ 1 = पउमचरिउ कोसलणन्दणेण आसाढट्टमिहिं सुर-समर-सहासेहिं रहसुच्छलिय-गत्तु जिण-वयणु सीस - वलग्ग सन्धि-वन्ध गिरि-इ-पवाह राम-वप्पु मेरु- सरिसु समास प्रयोग के उदाहरण [ अपभ्रंश काव्य सौरभ ] अजरामरु दि-वन्धणा घर-दाराई अण्ण-दि अत्थाण- मग्गो चिन्तावण्णु Jain Education International पृष्ठ संख्या = 5 = 5 = 6 = = 7 = ॥ = 9 = = = = = = = 8 = 8 10 10 10 11 11 13 14 16 तुरङ्गम-णाएहिं हियवए पाठ 2 = पउमचरिउ सुइ-सिद्धन्त-पुराणेहिं दुट्ठ-कलत्तु मयलञ्छण-विम्बु बहु- दुक्खाउरु दुग्ग-कुडुम्बु विसयासत्तु तव-वाएं वर - उज्जाण तव चरणहो चउ - कसाय - रिउ अत्तावणु तव चरणु दय-धम्मु अपभ्रंश व्याकरण: सन्धि-समास - कारक (20) For Personal & Private Use Only = = पृष्ठ संख्या = = = = = = 16 = 17 11 20 = 24 = 25 24 = 25 = 24 24 = 26 24 = 27 26 = 27 = 28 www.jainelibrary.org

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