Book Title: Anusandhan 2006 09 SrNo 37
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 10
________________ September-2006 अज्झोयरचरिमदुगे २ मायापिंडम्मि१ कहचउक्कम्मि ४ । विगलिंदियसाहारण ४ थोवगपरितावणकरीए ॥ ३५ ॥ साहारवणपरंपर निक्खिविओ १ मीस १ पिहिय १ साहरिय (ए) १ । अपरिणय १ छड्डिएसुं १ पंचेंदियघट्टणकरीए ||३६|| मीसाणंताणंतर निक्खिविउं१म्मीस १ पिहिय १ साहरिय (ए) १1 अपरिणय १ छड्डिएसु १ पूइए भत्तपाणस्स १ ||३७|| पत्तेगेगेंदियजीवगाढपरितावदायगवराहे । तह अणंतमक्खिसु य मासगुरुं होइ पच्छित्तं ||३८|| तेत्तीसाए दोसेहिं मासगुरुगाहिगारो ॥छ || ओहुद्देसे १ पागडकरणे १ परभावकीयदोसम्मि १ । लोउत्तरपरियट्टिय १ चिरठवणुवगरणपूईसु १ ॥३९॥ उद्दिट्ठचउक्के५ वयणसंथवे १ सुहुमवेज्जकिरियाए १ । लोउत्तरपामिच्चे १ दद्दरभिन्न दोसम्म ॥४०॥ सग्गामाहडदोसे १ जहन्नमालोहडावराहम्मि | १ मीसगकद्दममक्खिय १ पढमज्झोयरयदोसेसु ॥४१॥ पत्तेयजियपरंपर निक्खिविरं १ म्माग १ पिहिय १ साहरिय (ए) १ । अपरिणय १ छड्डिएसुं १ भावापरिणयवराहम्मि १ ॥४२॥ मीसपरित्ताणंतर - निक्खिविउं १म्मीस १ पिहिय १ साहरिय (ए) १ । अपरिणय१ छड्डिएसुं १ दउल्लकरमत्त १ दोसम्म ॥४३॥ हरियालं १ जण १ सेडिय १ मणोसिला १ लवण १ऊस १ हिंगुलुय १ । गोराडिय १ गजाय १ सरियाहिं १ मक्खियकरामत्ते ॥ ४४॥ पिहु १ कुटुग १ कुक्कुस परित्तवण मक्खियावसु । पत्तेणेगं (गेगें) दिय जीव थोव ४ परित्तावणकरीए ॥ ४५ ॥ विगि (ग) लिंदियसाहारण ४ मंदारगदायगक्खदोसेण । पिंजंती रुव्वंती कत्तंती १ मद्दयंती १ || ४६|| जो संसट्टगलित्ते हत्थे मत्ते य होइ चउभंगी । तच्चरमभंगतिय३ वट्टमाणदाईए नारीए ॥ ४७ ॥ Jain Education International -- 5 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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