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September-2006
सम्पादके नोंध्युं छे ते पण अगत्यनुं छे. अन्यथा अर्थघटनमां भ्रान्ति थई शके. छपायेल पाठमां भ्रमपूर्ण वाचनना कारणे अशुद्ध पाठो ठीक ठीक छे :
अशुद्ध
चरितहें
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कडी २ :
३ :
४ :
८ :
९ :
९ :
९ :
१३ :
१६ :
१६ :
१८ :
१८ :
२८ :
३२ :
३७ :
अयाण
३८ :
साखीभूत ३१मी कडी दोहो नथी, सोरठो छे. रचनामां छन्द तरीके जेनो उल्लेख थयो छे ते छन्द चालती अने त्रूटक प्रकारनो छन्द छे. ३१मी कडी पछी छन्द शीर्षक आपवानुं रही गयुं छे.
वस्तु ज
आयुहें
नभंत
सहजनंद
जम्म ण
सुजाव
मल मूलधारी
सहि जहि
रतना
जोंणि
परिनाय
जाण न
पंथसु ससय
शुद्ध
चरित्त हें
अपाण
माखी भूत
वस्तुज
आयु हैं (हो)
न भंत
सहजानंद
जम्मण
सुभाव
मलमूत्रधारी
सहिज हि
रचना
जाणि
परिना (आ) य
67
जाणन
पंथ सुसमय
शब्दकोशमां :- 'सयानडां' जेवो ज 'पयानडा' शब्द वपरायो छे, ते 'प्राज्ञ' के 'प्रज्ञान 'मांथी निष्पन्न थयो होय एवी सम्भावना गणाय. 'आनन' (क. ३५) नो अर्थ 'अन्य' संभवे. क. ९मां 'धांन' छे तेनो अर्थ 'ध्यान' बेसे छे.
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