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माहिती :
एक स्पष्टता विशेषावश्यक भाष्य, शुद्धिपत्र 'अनुसन्धान'मां चारेक हप्ते आपेल छे. ते मुद्रित २ प्रतोना आधारे चालता स्वाध्याय दरम्यान जे शुद्धिओ सूझी, भूलो सुधारवा जेवी लागी, ते यथामति सुधारता जईए छीए, ते छे. आमां कोई हस्तप्रतोनी मदद लीधी नथी. एटले संभव छे के अमारा शुद्धिपत्रमा कोई क्षति रही होय पण खरी. कोईना ध्यान पर तेवी क्षति आवे अने जणावे तो राजी थईशुं, अने सुधारीशुं.
(२)
गत (३६मा) अंकमां डॉ. ढांकी अने तेमना संशोधनग्रन्थोने केन्द्रमां राखीने लखायेल लेखना प्रतिघोषमां श्री लाभशंकर पुरोहित, मनोज रावल, निरंजन राज्यगुरु, नाथालाल गोहिल, कान्तिभाई बी. शाह, नीतीन देसाई, वी.एम.कुलकर्णी वगेरे विद्वज्जनोना सरस अने चिन्ता व्यक्त करता पत्रो मळ्या छे. तो डॉ. बंसीधर भट्ट, चन्द्रकान्त कडिया जेवा विद्वज्जनोए रुब-रु पण प्रतिभाव आपवा साथे चिन्ता व्यक्त करी छे. ए पत्रो तथा विगतो प्रकाशित करवानुं हालना तबक्के जरूरी नथी लागतुं. केम के ए बाबते कोई वचलो रस्तो शोधवाना योग्य प्रयत्नो रह्या होवाना संकेतो प्राप्त थई रह्या छे.
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