Book Title: Anubhuti evam Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 8
________________ सम्यक्त्व "सम्यक्त्व आत्मोत्कर्ष के शिखर की प्रथम सीढ़ी है, अध्यात्म वर्णमाला का प्रथम अक्षर है आत्म दर्शन की प्रथम कक्षा है सम्यक् समझ ही है, सम्यक्त्व जहाँ आग्रह - दुराग्रह से परे केवल सत्य का ग्रहण होता है सुषुप्त जीवन में जब सम्यक्त्व की वीणा बजती है तो मिथ्यात्व की नींद टूटती है विवेक का सूरज उदित होता है Jain Education International सम्यक्त्व साधक जीवन की नींव है जिस पर साधना का महल खड़ा होता है सम्यक्त्व अन्तर्दृष्टि है जिसमें कर्त्तव्य का बोध होता है उसमें कर्तृत्त्व भाव भी विलीन हो जाता है केवल साक्षीभाव रह जाता है अनुभूति एवं दर्शन / 7 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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