Book Title: Anubhuti evam Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 47
________________ Jain Education International खण्ड-3 भारतीय दर्शन एवं चिन्तन भारतीय चिन्तन में प्रमाण-व्यवस्था चार्वाक दर्शन में प्रत्यक्ष ही हैं एक मात्र प्रमाण बौद्धों के लिए प्रत्यक्ष और अनुमान ऐसे दो हैं प्रमाण, प्रत्यक्ष अनुमान और आगम सांख्य दर्शन में ये तीन हैं प्रमाण, नैयायिको को है स्वीकार उपमान सहित चार प्रमाण, अर्थापत्ति सहित पाँच प्रमाण प्रभाकर मीमांसको को है मान्य, भट्ट मीमांसक और वेदान्त अभाव सहित षट् प्रमाण हैं मानते भारतीय दर्शन की यह प्रमाण व्यवस्था सभी दर्शन अपने अपने ढंग से हैं स्वीकारते । अनुभूति एवं दर्शन / 46 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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