Book Title: Anubhuti evam Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 53
________________ न्याय दर्शन न्याय दर्शन के प्रणेता महर्षि गौतम हैं यह दर्शन ईश्वरवादी है। ईश्वर नित्यमुक्त, ज्ञान युक्त और सृष्टिकर्ता है पालक और नियामक भी है पंचमहाभूत परमाणु, दिक् काल आत्मा और मन इन नव द्रव्यों के द्वारा ईश्वर जगत की सृष्टि करता है वह निमित्त कारण है इस जगत का उपादान तो इसके हैं नव द्रव्य, चौबीस गुण, पंचकर्म सामान्य, विशेष और समवाय संबंध। मनुष्य स्वतन्त्र नहीं है वह ईश्वर प्रेरणा से ही कार्य करता है यद्यपि ईश्वर को भी मनुष्य के पाप पुण्य के अनुसार चलना पड़ता है फिर भी ईश्वर सर्वशक्तिमान है मोक्ष के विषय में न्यायदर्शन का चिंतन है अनुभूति एवं दर्शन / 52 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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