Book Title: Anubhuti evam Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 58
________________ रचनाकार परिचय साध्वी रुचिदर्शनाश्रीजी का जन्म दिनांक 1 मार्च 1977 को बड़नगर (म.प्र.) में हुआ। आपके पिता श्री रमेशचन्द्र जी ओरा एवं माता श्रीमती प्रेमलता ओरा प्रारंभ से ही धार्मिक संस्कारों से ओतप्रोत रहे है। इसका प्रभाव उनकी संतानों पर भी पड़ा। आपकी ज्येष्ठ पुत्री साध्वी महाप्रभाजी म. सा. के सान्निध्य में साध्वी में प्रीतिदर्शनाश्रीजी के रूप में दीक्षित हो गई। अपनी ज्येष्ठ भगिनी के दीक्षित होने से कनिष्ठ भगिनी में भी वैराग्य का बीज अंकुरित हुआ / वह भी ज्येष्ठ भगिनी साध्वी प्रीतिदर्शनाश्रीजी के सान्निध्य में प.पू. आचार्य जयंतसेन सूरीश्वर के वरद हस्त से दीक्षित हो गई। दीक्षित अवस्था में आपका नाम साध्वी रूचिदर्शनाश्री रखा गया / गृहस्थावस्था में आपने बी.कॉम. तक अध्ययन किया था, दीक्षित होने के पश्चात् जैन धर्म दर्शन का गम्भीर अध्ययन किया। आप आध्यात्मरूचि सम्पन्न साध्वी है। प्राच्यविद्यापीठ शाजापुर के प्रकाशन 1. जैन दर्शन के नव तत्व - डॉ. धर्मशीलाजी 2. Peace & Re;ogopis Harmony-Dr. Sagarmal Jain 3. अहिंसा की प्रासंगिकता - डॉ. सागरमल जैन 4. जैन धर्म की ऐतिहासिक विकास यात्रा - डॉ. सागरमल जैन 5. जैन गृहस्थ को षोडशसंस्कार - अनु. साध्वी मोक्षरत्नाश्री 6. जैन मुनि जीवन के विधी-विधान - अनु. साध्वी मोक्षरत्नाश्री 7. सत्यानुभूति - साध्वी रूचिदश श्री 400/50/50/20/ 40/ 50/20/ उद्धक आकृति कॉफासेट, उज्जैन फोन-073.4.25 15 1720

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