Book Title: Anubhuti evam Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 48
________________ Jain Education International चार्वाक दर्शन बृहस्पति है प्रणेता चार्वाक दर्शन के इस दर्शन में पृथ्वी, अप, तेज और वायु इन चार तत्वों के स्वाभाविक संयोग से जगत है उत्पन्न हुआ अमूर्त आत्मा और आकाश तत्व को ये नहीं है मानते सृष्टि कर्ता ईश्वर को भी नहीं स्वीकारते इस मत में अनुभूत मूर्त तथ्यों के अलावा किसी भी अमूर्त तत्व की सत्ता नहीं है वे अपने को देहात्मवादी मानते और चैतन्य को शरीर का ही गुण बताते इस दर्शन में काम ही एक मात्र पुरूषार्थ हैं? धर्म और मोक्ष भी क्या कोई पुरूषार्थ है जब तक जीयो सुखपूर्वक जीयो कर्ज करके भी घी पीयो क्योंकि यही जीवन तो तुम्हारा आदि और अन्त है, मृत्यु ही मोक्ष है। अनुभूति एवं दर्शन / 47 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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