Book Title: Anubhuti evam Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ पर्याय द्रव्य में घटित विभिन्न परिवर्तन ही पर्याय कहलाते प्रत्येक द्रव्य प्रति समय अपने पूर्व अवस्था का परित्याग कर नित नूतन अवस्था पाता और इसी तरह तो सृष्टि का क्रम यह चलता इन पर्यायों का अधिष्ठान या उत्पादन तो द्रव्य स्वयं ही है किन्तु पर्याय के बिना द्रव्य की कल्पना भी व्यर्थ है पर्याय द्रव्य से कथंचित् भिन्न और कथंचित् अभिन्न है बन-बन कर मिटना और मिट-मिट कर बनना यही तो है सृष्टि का क्रम सृष्टि, विनाश और नवसृष्टि यही खेल तो जैन दर्शन में पर्याय परिवर्तन कहलाता है अनुभूति एवं दर्शन / 45 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58