Book Title: Anubhuti evam Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 44
________________ गुण द्रव्य, गुण और पर्यायों से युक्त है गुण द्रव्य का सहभावी धर्म है जबकि पर्याय क्रमभावी धर्म है गुण सन्तति द्रव्य के समान ही होती अविनाशी जिस द्रव्य का जो गुण वह उसमें सदैव रहता द्रव्य गुण का आश्रय है किंतु गुण तो सदा निर्गुण है ये गुण भी द्विविध होते है जो गुण सभी द्रव्यों में पाये जाते है ऐसे सामान्य गुण अस्तित्त्व, वस्तुत्त्व, द्रव्यत्त्व, प्रमेयत्त्व, अगुरूलघुत्त्व और प्रदेशत्त्व छ: प्रकार के होते विशिष्ट गुण द्रव्य को एक को दूसरे से पृथक करते जीव द्रव्य में चैतन्य पुद्गल द्रव्य में स्पर्श रस गंध वर्ण धर्म द्रव्य में गति सहायकत्व अधर्म द्रव्य में स्थिति सहायकत्व आकाश में अवगाहन का लक्षण अनुभूति एवं दर्शन / 43 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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