Book Title: Anubhuti evam Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 18
________________ संयम संयम क्या, मात्र मुनिवेश है? वेश तो उसका शरीर है संयम तो पंचमहाव्रतों की प्राण प्रतिष्ठा रूप है। वह बाहर से नहीं, भीतर से होता है प्रगट वह तो मर्यादाओं का परिधान है। संयम है, कर्त्तव्य के कुरूक्षेत्र की रणभूमि में, गुरू रूप कृष्ण के सानिध्य में, अर्जुन बन मोह सेना को परास्त करना, संयम तो अनुकूलता एवं प्रतिकूलता की बगिया में मर्यादा का महोत्सव है समत्व का परीक्षण है वह तो स्व का स्वमें अनुसंधान है संयम मे ममत्व का विसर्जन और समत्व का सृजन है जड़ से भिन्न स्व का स्व में संवेदन है संयम क्या है ? वह तो मीरा के भक्त हृदय की थिरकन है वह तो बुद्ध का सम्यक् संबोधि ध्यान है और महावीर के आचार मार्ग का संविधान है। अनुभूति एवं दर्शन / 17 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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