Book Title: Anubhuti evam Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 15
________________ Jain Education International अपेक्षाओं की बरात व्यक्ति अकेला है अन्यों से भिन्न किंतु उसे यह स्वीकार कहाँ अपेक्षाओं के टूटने से वह पीड़ित है अनेक आशाएँ और अपेक्षाएं दूसरों से क्योंकि उनको अपना मान बैठा है उसकी अपूर्ण आकांक्षाएँ अपेक्षाएँ उसका पीछा नहीं छोड़ती इसी कारण वह दुखी है पीड़ित है किन्तु अपने मिथ्या आग्रह को वह छोड़ता नहीं कौन अपना और कौन पराया मान्यताएं ही किसी को अपना किसी को पराया बनाती है, संयोग हुआ है वृक्ष पर पक्षियों की तरह प्रातः काल अलग-अलग दिशाओं में उड़ जाना है बस एक रात ही तो बाकी है अपेक्षाओं की बरात की अनुभूति एवं दर्शन / 14 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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