Book Title: Anekant 1996 Book 49 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 4
________________ अनेकान्त वर्ष ४६ वीर सेवा मंदिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ वी.नि.सं. २५२२ वि.सं. २०५३ किरण- १ जनवरी-मार्च ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावै? १६६६ ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावै, जाको जिनवाणी न सुहावै ।। वीतराग सो देव छोड़ कर, देव कुदेव मनावे | कल्पलता, दयालता तजि, हिंसा इन्द्रासन बावै ।। ऐसा० ।। रुचे न गुरु निर्ग्रन्थ भेष बहु, परिग्रही गुरु भावै । पर-धन पर-तिय को अभिलाषै, अशन अशोधित खावै ।। ऐसा० । । पर को विभव देख दुख होई, पर दुख हरख लहावै । धर्म हेतु इक दाम न खरचै, उपवन लक्ष बहावै ।। ऐसा० ।। ज्यों गृह में संचे बहु अंध, त्यों बन हू में उपजावै । अम्बर त्याग कहाय दिगम्बर, बाघम्बर तन छावै ।। ऐसा० ।। आरंभ तज शठ यंत्र-मंत्र करि जनपै पूज्य कहावै । धाम - वाम तज दासी राखे, बाहर मढ़ी बनावै ।। ऐसा० ।।

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