Book Title: Alpaparichit Siddhantik Shabdakosha Part 5
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 18
________________ प्रेसकोपी:- चिट्ठीओ चोडी अकारादि करी प्रेसमेटर तैयार करेवानु काम श्रीसौभाग्यसागरजी करता हता. ते काम सं० २००५ सुधी वाल्यु कोपी तैयार थया पछी तेनुं संपादन काम अमारा माथे आव्यु. ज्यारे मेलववानुं कार्य अमारी पर आव्यु त्यारे मालूम पड्यु के अमुक आगमोना शब्दो नथी एटले ते शब्दोनो संग्रह अमे करवा मांड्यो. वली, ज्ञाताजीना शब्दो पण संग्रह करेला न देखाया. तेथी ते शब्दो पण अमे लीघा. वली केटलीक कापलीओ अधूरी हती ते पण अमे गुरुमहाराजनी देखरेखमां पूरी करवी हति पछी तेमनी निश्रामां व्यवहारनी कापलीओ में, मुनिप्रबोधसागरजी अने मुनिक्षेमंकरसागरजीए उतारी पछि अकारादि वगेरेनु कार्य अमे नवेसरथी कयु. ते पछी लहिया पासे लखावी प्रेस कोपी तैयार करावी. आमां ठीकठीक महेनत करवी पडी हती. कुदरती विघ्नः - कोषनुं संपादन कार्य हुं मारा सहसंपादक श्रीक्षेमंकरसागर साथे करता हता. तेवामां सं० २०११ मां श्रीक्षेमंकरमागरजीने रात्रे झेरी जानवर करडवाथी स्वर्गवासी थयो. एटले बधी जवाबदारी मारा पर आवो. पण गुरुमहाराजना प्रतापे प्रेसकोपी तो तैयार थई. सं० २००६ में श्रीगुरुमहाराज स्वर्गवास यो हतो एटले अमुक आवश्यक माहिती असे अमारी बुद्धि प्रमाणे भेगी करी छे. प्रेस कोपीमां अमे मूल शब्दनी विभक्ति मोटे भागे काढी नाखी छे. छापत्रानुं कामः- आ कोषनो प्रथम भाग सं० २०१२ मां बहार पडयो ( जोके ओ माग पांच वर्ष हेलां बहार पडिशक्त ) त्यार पछी सं० २०१५ - २०१६ माँ चालु थयु आयो धारेधारे छगनां बीजो, त्रीजो अने चोथो भाग बहार पड्या. ए भागो जैनेन्द्र प्रेस, ललितपुर मां छपाया, आ कार्यमा प्रुफ जोवानु सहकारी पण मुनिप्रमोदसागरजी ए पण कळे हतु तेनी नोंधलेता आनंद थाय छे. बुद्धिः - हुं पोते व्याकरणादिनो ऊंडो अभ्यासी नथी. एटले व्याकरकारनी अपेक्षाए केटलीक क्षतियो रही हशेज. शब्दक्रम :- मूल शब्दो मोटे भागे अर्धमागधी छे. टीकाकारे लोधेला केटलाक शब्दो संस्कृतना पण छे. स्वरादि क्रमे प्रथम शब्द कोपी तैयार करी हती. तेज क्रम बधा भागमा राख्यो छे. रीतिः -- शब्दकोषमां मूल शब्द अने तेनो टीकाकारे करेलो अर्थ जे ग्रन्थना जे पाना पर होय ते ग्रन्थ नेते पातुं असे आव्यु छे. विशेष मानाके सामान्य नाम अंग्रेनी कोई कोई माहिती अमे आपी छे. शब्दकोष : आम तो संस्कृत, प्राकृतना पुराना तेमज नवीन शब्दकोष अनेक उपलब्ध छे. ए पैकी केटलाक नामो प्रो० हीरालाल कापडियए नौवेलां छे तेनो पण अहीं उल्लेख अत्रे कर्यो छे. श्री अभिधानचितामणि सटीक कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य श्रीहेमचन्द्रसूरि, निगंदु, एकार्थमंजुषा, नामशेष, अकारादिनामसंग्रहः अमरकोष सटीक पाइयलच्छोनाममाला, देशीनाममाला, धनंजयनाममाला, लघुतमनामकोष ( आगमोद्धारककृत ) वगेरे, कोष छे. शब्दार्थचितामणिकोषमां शब्दनो पदच्छेद करीने दर्शावे लो छे. अभिधानराजेन्द्र ७ मागमां छे तेमां प्रकरणनां प्रकरणो ते ते शब्दमां लीनां छे. पाइयसद्दमहण्वो मां प्राकृत शब्दोनो हिंदीमां अर्थ आपेलो छे. शब्दकल्पद्रुप भाग १ थी ५ मां प्रायः हिंदीमां अर्थो आपेला छे, शब्दरत्नाकर, शब्दादर्शमां संस्कृतना अर्थ गुजरातीमां छेः शब्दरत्नमहोदधिमां संस्कृतना अर्थ गुजरातीमां छे. आगमशब्दसंग्रह तथा शब्दार्थसिन्धु वगेरे अन्य कोषो छे. अभिधानचितामणि गुजराती भाषांतर साथै त्रण बार बहार पड्यो छे. धनंजय नाममाला पण गुजराती अर्थ साथै छे. लघुतमनाममाला ( गुजराती भाषांतर साथ छपाई छे. ) अने अमरकोष पण भाषांतर साथै प्रकाशित थयो छे. Jain Education International ( १३ } For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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